शुक्रवार, जनवरी 02, 2009

सुरूर पर सख्ती


गहलोत ने नशे पर नकेल कसते हुए अवैध शराब कारोबारियों को शिकंजे में लेने के बाद मयखाने खुलने के समय में चार घंटे की कटौती की है। मदहोश होकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ अभियान पहले से ही चल रहा है। सुरा के खिलाफ सरकार के इस संघर्ष को लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है।

रात के आठ बजने को हैं। दुकान के बाहर ग्राहकों की अच्छी खासी भीड़ जमा है। लेकिन दुकानदार की नजरें ग्राहकों पर कम घड़ी पर ज्यादा हैं। ठीक आठ बजते ही हाथ में पैसे लिए खड़े ग्राहकों को किनारे कर दुकानदार शटर खींच ताला जड़ देता है। चौंकिए मत, यह नजारा आजकल सूबे की शराब की दुकानों पर आम है। सरकार के आदेश के बाद राज्य के मयखाने सुबह दस बजे खुलते हैं और रात को आठ बजे बंद हो जाते हैं। पहले शराब की दुकानों का समय सुबह नौ बजे से रात ग्यारह बजे तक था, लेकिन सच्चाई यह थी कि ये दुकानें अल सुबह खुलने वाली दूध की डेयरियों से पहले खुल जाती थीं और रात को इन पर समय का कोई नियंत्रण नहीं था।
विधानसभा चुनाव में वसुंधरा सरकार की आबकारी नीति भी एक बड़ा मुद्दा थी। कांग्रेस ने प्रचार के दौरान 'बातें दूध की और दुकाने दारू की' जुमले के साथ वसुंधरा राजे पर खूब कटाक्ष किए। दरअसल, पिछली सरकार ने शराब माफिया पर शिकंजा कसने के नाम पर आबकारी नीति में किए गए बदलावों का दूसरा ही रूप सामने आया। सरकार ने बेहिसाब शराब की दुकानों के लाइसेंस बांटे। सरकार पर सुरा का ऐसा सुरूर चढ़ा की मयखाना खोलने के लिए न तो मंदिर से गुरेज किया और न ही पाठशाला से परहेज। दुकान खोलने के लिए बने सारे नियम-कायदों को ताक पर रख दिया। गली-गली मदिरालय खुल गए। सरकार ने इनके भीतर-बाहर पीने की अघोषित अनुमति दे दी। शराब की दुकानें बार में तब्दील हो गईं। खुलेआम जाम छलकाने की पाबंदी का असर गायब हो गया। नशे में धुत्त लोग खुलेआम सड़कों पर नजर आने लगे। छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ गईं। दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ। कुल मिलाकर पूरे राज्य में नशे के कारोबारियों की एक समानांतर व्यवस्था विकसित हो गई। धीरे-धीरे परंपरागत रूप से हथकढ़ शराब से जुड़े तत्व भी इससे जुड़ते गए। आबकारी विभाग के उस संशोधन ने जिसके अनुसार पुलिस का दखल लगभग समाप्त कर दिया था, अवैध शराब के कारोबारियों के हौसलों को परवान चढ़ाया। कुल मिलाकर एक ऐसी सुरा संस्कृति का जन्म हुआ, जिसकी कल्पना प्रदेशवासियों ने नहीं की थी।
गहलोत के सत्ता संभालने से ठीक पहले जयपुर जिले के हनतपुरा में जहरीली शराब पीने से 23 लोगों की मौत हो गई थी। पीडि़त लोगों के दर्द ने मुख्यमंत्री को झकझोर कर रख दिया। वहीं से उन्होंने नशे पर नकेल डालने की ठान ली। सबसे पहले अवैध शराब के कारोबारियों पर शिकंजा कसने के लिए मुख्यमंत्री ने तीन महीने की कार्ययोजना तैयार की। इसके तहत आबकारी विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान शुरू कर दिया है। अब तक हजारों लीटर अवैध शराब नष्ट की जा चुकी है। यह कार्रवाई पहले से अलग है। पहले आबकारी विभाग अवैध शराब को नष्ट तो कर देता था, लेकिन कुछ समय बाद वहां फिर से कारोबार शुरू हो जाता था। कई स्थानों पर तो आबकारी विभाग की शह पर ही यह काम होता था। ऐसा नहीं हो इसके लिए मुख्यमंत्री ने दोनों विभाग के अधिकारियों को पाबंद करते हुए जबावदारी तय कर दी है। गहलोत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कहीं भी दुबारा काम शुरू नहीं होना चाहिए। राज्य में मुख्यमंत्री स्तर पर अवैध शराब के खिलाफ इस तरह की पहल पहली बार देखने में आ रही है।
राजमाता गायत्री देवी के पोते और होटल रामबाग के निदेशक विजित सिंह के 'हिट एंड रन' मामले के बाद गहलोत ने नशे के कारोबार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का मन बना लिया। गौरतलब है कि शराब के नशे में धुत्त विजित सिंह कॉलेज छात्रा बबीता को कार से कुचलने के बाद भाग गया था। पुलिस ने विजित पर धारा 304 ए व 185 के तहत मुकदमा दर्ज कर कुछ ही देर में जमानत पर छोड़ दिया। लोगों में आक्रोश बढऩे पर गहलोत ने पुलिस अधिकारियों की क्लास लेते हुआ पूछा कि जब सलमान और संजीव नंदा के मामले में धारा 304 लग सकती है तो विजित के खिलाफ क्यों नही? सीएम की फटकार के बाद पुलिस ने विजित के केस में धारा 304 भी जोड़ दी। विजित मामले के बाद परिवहन विभाग के तेवर भी सख्त हो गए। ट्रेफिक पुलिस ने शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर कार्रवाई तेज हो गई है। इससे दुर्घटनाओं के अलावा छेड़छाड़ की घटनाओं में भी कमी आने की उम्मीद है।
गहलोत ने जिस समय शराब की दुकानें खुलने के समय में कटौती का आदेश जारी किया तो लोगों ने शराब माफिया के सक्रिय होने, गश्त के दौरान पुलिस के भ्रष्ट होने और तस्करी बढऩे सरीखी आशंका जताई थी। लेकिन सरकार के कड़े रवैये के चलते सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। सरकार की सख्ती के चलते आठ बजते ही दुकानें पूरी तरह से बंद हो जाती हैं। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे नियमों की पालना सुनिश्चित करें। नियम तोडऩे वाले दुकानदारों के लाइसेंस निरस्त किए जाएं। सरकार ने इसके लिए आबकारी प्रवर्तन दस्ते को पुलिस के बराबर अधिकार दिए हैं। शराब माफिया-आबकारी-पुलिस गठजोड़ को पनपने से रोकने के लिए ढिलाई बरबतने वाले अफसरों पर कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है। सरकार इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि सिस्टम की ओर से कोई चूक नहीं हो। गहलोत के इरादों को अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शराब की दुकानों के समय में कटौती का आदेश जारी होते ही आबकारी विभाग ने तुरत-फुरत में फोन और एसएमएस से दुकानदारों को सूचना दी और आठ बजते-बजते पुलिस ने समूचे प्रदेश में दुकानें बंद करा दीं। नशाखोरी के खिलाफ सरकार की ओर से चलाए जा रहे अभियान का लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है। लोग शराब माफिया के खिलाफ धीरे-धीरे लामबंद हो रहे हैं। राज्यों के अलग-अलग हिस्सों से शराब की दुकानों को जबरन बंद कराने की घटनाएं एकाएक बढ़ गई हैं। अनेक स्थानों पर विद्यार्थियों, महिलाओं एवं व्यापारियों ने नशे के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है।
शराब की दुकान खुलने के समय में की गई कटौती को मिले व्यापक जनसमर्थन के बाद सरकार ने नई आबकारी नीति बनाने की कसरत शुरू कर दी है। धार्मिक स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के पास खुली दुकानों का बंद होना तो तय माना जा रहा है। नई नीति में सरकार राजस्व में न्यूनतम कटौती पर शराब की दुकानों में अधिकतम कमी करना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक सरकार का मयखानों में 30 फीसदी कमी का इरादा है। इसके लिए सरकार के पास दो विकल्प हैं। पहले विकल्प के तहत सरकार अंग्रेजी व देशी शराब की दुकान का एक ही लाइसेंस जारी कर सकती है। इससे दुकानों की संख्या में भारी कमी आएगी और राजस्व पर भी असर नहीं पड़ेगा। राज्य में देशी शराब की 6660 दुकानें हैं। दूसरे विकल्प के तहत दुकानों की लाइसेंस फीस दुगुनी की जा सकती है। इससे दुकानें कम होने पर भी राजस्व में कमी नहीं होगी। इसके अलावा सरकार केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु व कर्नाटक की तर्ज पर देशी शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की संभावना पर भी विचार कर रही है। इसके विकल्प के तौर पर सस्ती अंग्रेजी शराब की बिक्री शुरू की जा सकती है। इससे शराब की दुकानों की संख्या में तो कमी आएगी ही शराब तस्करी और अवैध हथकढ़ शराब के उत्पादन पर भी अंकुश लगेगा। सरकार ने 'ड्राई डे' की संख्या को फिर से सात करने का मन बनाया है। नई आबकारी नीति में इनकी संख्या घटाकर चार कर दी गई थी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें