बुधवार, मार्च 25, 2009

सब मोदी की माया


देश में आम चुनाव, केंद्र सरकार की अर्द्ध सैनिक बल मुहैया कराने के लिए साफ मनाही और राज्य सरकारों के आयोजन से हाथ खड़े करने के बाद एक बार तो लगा था कि आईपीएल का दूसरा संस्करण शुरू नहीं हो पाएगा, लेकिन इसकी कमान एक ऐसी शख्सियत से संभाल रखी है जो धुन के पक्के हैं। वो जो चाहते है, कर गुजरते हैं। जी हां! हम बात कर रहे हैं आईपीएल कमिश्नर और बीसीसीआई उपाध्यक्ष ललित मोदी की। मोदी अपने संपर्कों के के चलते हमेशा चर्चाओं में रहे हैं। चाहे बात फिल्मी सितारों की हो, राजनेताओं की, उद्यागपतियों की या खेल से जुड़ी हस्तियों की। इस बार भारत में भले ही उनके संपर्क जबाव दे गए, पर दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड के सीईओ जेराल्ड मजोला से उनकी मित्रता ने रंग दिखाया। दक्षिण अफ्रीका में ही सही, लेकिन आईपीएल का आयोजन होगा। ऐसा पहली बार नहीं है जब मोदी की मेहनत से फटाफट क्रिकेट का यह महाकुंभ आयोजित होने जा रहा है। दरअसल, सुपरहिट आईपीएल का मजा लेने वाले बहुत कम लोग यह जानते हैं कि क्रिकेट में क्रांति ला देने वाले इस स्वरूप की रूपरेखा ललित मोदी ने ही आज से उन्नीस साल पहले बनाई थी।
1963 में दिल्ली में जन्में मोदी का खिलाड़ी के तौर पर क्रिकेट से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। एक उद्योगपति के रूप में उनके 'के.के. मोदी ग्रुप' का वास्ता तंबाकू, धातु, स्वास्थ्य सेवाओं, अचल संपत्ति एवं वित्त तक ही है। उनके अंदर क्रिकेट में कुछ कर गुजरने का जुनून का जन्म अमरीका प्रवास के दौरान हुआ। यहां मोदी को ख्याल आया कि यदि अमरीका में ह्यूस्टन टेक्सन और डिज्नी की माइटी टेक्सन जैसी टीमें करोड़ो डॉलर कमा सकती हैं तो हमारे देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? मोदी ने इसके लिए रूपरेखा बनाना प्रारंभ किया। उन्होंने आईपीएल का पहला प्रस्ताव 1990 में बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष माधवराव सिंधिया के सामने रखा। खिलाडिय़ों से अनुबंध किया गया और मुंबई स्टालियंस, कैलकटा टाइगर्स, बंगलूर ब्रेव्स, हैदराबाद हॉक्स एवं ग्वालियर कोब्राज सरीखी टीमें भी बनाई गईं। लेकिन, बात पूरी तरह से बन नहीं पाई और आइडिया फ्लॉप हो गया।
मोदी ने हार नहीं मानी उन्होंने कुछ वर्षों बाद फिर कोशिश की। इस बार उन्होंने पंजाब क्रिकेट एशोसिएशन (पीसीए) का सहारा लेकर अपनी योजना को अमली जामा पहनाने की कोशिश की। मोदी ने सारा मसला पीसीए की वेबसाइट पर डाल दिया। बीसीसीआई को इसकी भनक लगी तो बात बिगड़ गई। इस पूरे घटनाक्रम से मोदी के प्रोजेक्ट को तो कोई फायदा नहीं हुआ पर इंद्रजीत सिंह बिंद्रा के रूप में उन्हें एक भरोसेमंद जरूर मिल गया। बिंद्रा बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। बिंद्रा ने मोदी को एक ही मंत्र दिया 'कुछ करना है तो बीसीसीआई में एंट्री कर लो।' मोदी ने इसकी शुरूआत राजस्थान क्रिकेट एशोसिएशन (आरसीए) का अध्यक्ष बन कर की। मौके की नजाकत को समझकर उन्होंने जगमोहन डालमिया के खिलाफ शरद पवार का साथ दिया। पवार ने डालमिया को पटकनी दी और मोदी को पुरस्कार स्वरूप बीसीसीआई के उपाध्यक्ष का पद मिल गया। फिर क्या था, कल तक अपने प्रोजेक्ट के लिए लोगों से मिन्नतें करने वाले मोदी आज उसे खुद स्वीकृत करने की स्थिति में थे। अंतत: अक्टूबर, 2007 में मोदी की सोच पर मुहर लगी। उन्हें आईपीएल का कमिश्नर भी बना दिया गया।
शुरूआत में 9 देशों के आईसीसी स्तर के अस्सी खिलाडिय़ों को सूचीबद्ध किया गया। प्रतियोगिता का कार्यक्रम बनाया। 4080 करोड़ रूपए की भारी राशि में प्रसारण के अधिकार बेचे गए। तय किया गया कि कुल आठ टीमें हिस्सा लेंगी। इन टीमों को खरीदने के लिए 14 औद्योगिक घराने मैदान में कूद पड़े। अपने पसंदीदा खिलाडिय़ों को खरीदने के लिए खुली बोली लगी। भाव करोड़ों में गए। मुकाबले के लिए टीमें तैयार थी। मुकाबले शुरू होने वाले थे। सबके मन में संदेह था कि क्रिकेट का यह नया दौर सफल होगा कि नहीं? पहला मैच बंगलौर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया। खचाखच भरे इस स्टेडियम को देखकर सारे संदेह दूर हो रहे थे। दर्शकों को क्रिकेट का यह नया संस्करण बेहद पसंद आ रहा था। खेल के साथ रोमांच और मनोरंजन का यह मिश्रण लोगों को खूब भाया। स्टेडियम तो फुल थे ही टीवी पर भी करोड़ों लोगों ने मैचों का पूरा मजा लिया। टेलीविजन के प्राइम टाईम में लोगों ने एकता कपूर के नाटकों को भुला दिया। मोदी की यह कल्पना जब साकार हुई तो उसे 'उम्मीद से दुगनी' सफलता मिली। मोदी ने प्रतियोगिता के दौरान गजब का तालमैल बिठाया। काम कहीं रूके नहीं इसके लिए अपने अधिकार, अनुभव और रसूख तीनों का सही इस्तेमाल किया। उन्होंने मैचों के दौरान स्थानीय क्रिकेट एशोसिएशनों को मुनाफे का लालच दिखाकर तमाम सुविधाएं बटोरने में कामयाबी हासिल की।
आईपीएल की कामयाबी से बुलंदियों पर पहुंचे ललित मोदी विवादों में भी घिरे रहे हैं। आईपीएल से जुड़े हुए विवादों की ही बात करें तो लीग की तीन टीमों में उनका पैसा लगा होने की चर्चाएं आम हैं। राजस्थान रॉयल्स, जिसके मालिकों में से एक अफ्रीका में व्यवसाय करने वाले उनके बहनोई हैं। किंग्स इलेवन के मालिकों में से एक मोहित बर्मन के भाई उनके दामाद हैं। इसके अलावा कोलकाता नाइट राइडर्स में भी उनका काफी पैसा लगे होने की खबर है। बहरहाल तमाम तरह के विवादों से दूर मोदी आईपीएल के दूसरे ऐपीसोड के सफल आयोजन की तैयारी में जुटे हैं।

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